ज़िदगी,
Monday 8 August 2011
dhoop: जिंदगी
dhoop: जिंदगी: "ऊँचे नारे गूंजते हैं जब , अक्सर दबा दिए जाते है| फिर अँधेरा हो जाता है , कमजोर शरीर , थकी बाजुएँ , बैठा गला , सूखा चूल्हा , अक्सर वो भूखे..."
जिंदगी
ऊँचे नारे गूंजते हैं जब , अक्सर दबा दिए जाते है|
फिर अँधेरा हो जाता है , कमजोर शरीर , थकी बाजुएँ ,
बैठा गला , सूखा चूल्हा , अक्सर वो भूखे सो जाते हैं
जिंदगी की धार तेज है तलवार से , चलना है उसे
उठते है सुबह फिर चल पढ़ते, जिंदगी से झूजने
बिक जाता है इंसान भी अक्सर बेबसी की आहों में
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